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क्लाइमेट एक्शन पर विकसित देशों से 'जवाबदेही' का वक्त आ गया : गौतम अदाणी | Climate Action

मुंबई: अदाणी ग्रुप (Adani Group) के फाउंडर और चेयरमैन गौतम अदाणी (Gautam Adani) ने कहा कि ग्लोबल साउथ से क्लाइमेट एक्शन पर विकसित देशों से 'जवाबदेही कार्रवाई' की मांग करने का वक्त आ गया है. अदाणी ने हालिया  CVF रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत, इंडोनेशिया, यूके और स्विट्जरलैंड पूरी तरह से क्लाइमेट एक्शन के नियमों का पालन कर रहे हैं और 'पेरिस समझौते' में तय किए गए लक्ष्यों को पूरा करने के लिए ट्रैक पर हैं.

अदाणी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अदाणी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पहले ट्विटर) पर पोस्ट किया, “हालिया CVF रिपोर्ट में भारत चमका है. भारत पेरिस समझौते के लक्ष्यों की राह पर है और टॉप 4 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. भारत का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन G7 का एक चौथाई है. हमारे जलवायु प्रयास एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए एकजुट हैं. ग्लोबल साउथ के लिए विकसित देशों से निष्पक्ष और वाजिब कार्रवाई की मांग करने का समय आ गया है.” 

Climate Vulnerable Forum के मुताबिक, "G20 में यूके के अलावा केवल भारत और इंडोनेशिया ही पूरी तरह से जलवायु से जुड़े नियमों का अनुपालन करते हैं. जबकि ब्राजील आंशिक रूप से इसका अनुपालन करता है. इसका मूल्यांकन 1950 बेस ईयर और क्षमता के लिए HDI के मापदंडों पर आधारित होता है."

CVF ने अपनी अक्टूबर 'ट्रैफिक लाइट असेसमेंट रिपोर्ट 2023' में कहा है कि G7, G20, EU और विकसित अर्थव्यवस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान, जब उनका कुल मिलाकर मूल्यांकन किया जाता है तो पेरिस समझौते के टेंपरेचर गोल और इक्विटी सिद्धांतों के अनुरूप नहीं होते हैं.

ट्रैफिक लाइट असेसमेंट पेरिस समझौते के अनुपालन के लिए प्रत्येक देश के राष्ट्रीय उत्सर्जन संकल्प के अलाइनमेंट का मूल्यांकन करता है, जिसे राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान के रूप में जाना जाता है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो गिने-चुने देश पेरिस समझौते को पूरा करने के लिए अपना उचित योगदान देने का वादा नहीं कर रहे हैं, वे आज तक दुनिया के अधिकांश जलवायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं. "दुनिया के सबसे गरीब और सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देश पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपना उचित योगदान दे रहे हैं."

रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में ग्लोबल इमिशन में भारत की हिस्सेदारी करीब 8.15% थी, और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन 2.93 tCO2 e/p है, जो दुनिया के औसत 6.4 tCO2 e/p से कम है.

रिपोर्ट में कहा गया है, “फेयर शेयर सेनेरियो के तहत NDC अलाइनमेंट ग्रीन है, जिसका अर्थ है कि भारत अनुपालन कर रहा है और सेनेरियो सी1 और सी2 के ट्रेजेकटरी एवरेज पर है, और वर्तमान में पेरिस समझौते के लक्ष्यों के साथ अलाइन है.” 

यह रिपोर्ट जिसमें इमिशन पर अंकुश लगाने में भारी असमानता दिख रही है, दुबई में 30 नवंबर से 12 दिसंबर तक होने वाले आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन से पहले आई है.

CVF की रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 

अधिकांश देश इसके तहत 1.5°C विश्व (सीमित ग्लोबल वार्मिंग) के लिए अपना उचित योगदान दे रहे हैं.

जो कुछ गिने-चुने देश अपनी उचित हिस्सेदारी का वादा नहीं कर रहे हैं वे आज दुनिया के अधिकांश जलवायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं.

पेरिस समझौते को पूरा करने के लिए अपना उचित योगदान देने का वादा नहीं करने वाले देश दुनिया के सबसे धनी और उच्चतम क्षमता वाले देश हैं.

सबसे गरीब और सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील देश पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को पूरा करने के लिए अपना उचित योगदान दे रहे हैं.

प्रमुख विकसित और उभरती हुईं अर्थव्यवस्थाओं से निकट अवधि के उत्सर्जन में कमी के प्रयासों में काफी वृद्धि की जरूरत है.

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